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Thursday, April 18, 2024
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लातेहार: जिले के 30 पारा शिक्षकों को बर्खास्त करने का आदेश जारी, सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा ने किया विरोध

लातेहार : जिला शिक्षा विभाग ने 30 पारा शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का आदेश जारी किया है। ये पारा शिक्षक पिछले 20 साल से सेवा दे रहे हैं। जिला शिक्षा विभाग का तर्क है कि जिस समय पारा शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, उस समय उनकी उम्र 18 साल से कम थी। ग्राम शिक्षा समिति ने गलत तरीके से पारा शिक्षकों का चयन किया था। जिन पारा शिक्षकों को हटाने का आदेश दिया गया है उनमें बरियातू और मनिका से 5-5, बालूमाथ से 6, चंदवा और लातेहार से 7-7 पारा शिक्षक शामिल हैं।

इधर, ग्राम शिक्षा समिति ने कहा कि राज्य सरकार ने जब 2003 में पारा शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश जारी किया था, तब आयु सीमा तय नहीं की गयी थी। आदेश के आलोक में पारा शिक्षकों का चयन किया गया है। उस समय समिति के माध्यम से भेजी गयी सूची को प्रखंड एवं जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था।

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शिक्षा विभाग ने 22 नवंबर 2022 को भी 30 पारा शिक्षकों की सेवाएं बर्खास्त करने का आदेश जारी किया था। लेकिन मामला अटक गया। अब 27 मार्च को फिर से आदेश जारी कर सभी बीईईओ को पारा शिक्षकों को हटाने को कहा गया है।

सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा ने किया विरोध

इधर, शिक्षा विभाग के इस आदेश के खिलाफ एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा ने मोर्चा खोल दिया है। लातेहार के जिलाध्यक्ष अतुल कुमार व महामंत्री अनूप कुमार ने बीस साल से जिले में ईमानदारी से काम कर रहे 30 सहायक अध्यापक संप्रति पारा शिक्षकों को हटाने के आदेश का विरोध किया है।

उन्होंने कहा कि यह उचित फैसला नहीं है। पूर्व में बहाली के समय आयु सीमा का उल्लेख नहीं था साथ ही गांव के टोले के मैट्रिक पास युवाओं को बहाल करने का निर्देश दिया गया था।

उन्होंने कहा कि जो शिक्षक बीस साल से सेवा दे रहे हैं। अध्यापन के साथ-साथ वे सरकार के निर्देशानुसार चुनाव मतगणना आदि अनेक कार्य भी करते रहे हैं। उन्हें सड़क पर लाना उचित नहीं है।

उन्होंने जिले के सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघों से भी इस समस्या में सहयोग करने का अनुरोध किया है। साथ ही कहा कि जरूरत के मुताबिक हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। पूर्व में भी इस समस्या की ओर सांसद व जिले के स्थानीय विधायक दोनों का ध्यान आकृष्ट कराया गया था। उनसे दोबारा अपील करेंगे।

Latehar para teachers dismiss