भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका डूबा चीन के कर्ज़े में, हो सकता है दिवालिया घोषित
sri lanka economic crisis
श्रीलंका में बढ़ती महंगाई और खाद्य संकट के कारण लोगों का जीवन मुश्किल हो गया है। कोरोना के कारण भयानक आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंकाई लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं। आलम ये है कि यहां के लोगों के लिए दूध सोने से भी महंगा हो गया है. दो वक्त की रोटी के लिए भी लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
श्रीलंका में रसोई गैस की कीमत के कारण करीब 1000 बेकरी बंद करनी पड़ रही है। इससे देश में रोटी के दाम आसमान छू रहे हैं। रोटी के एक पैकेट के लिए 150 श्रीलंकाई रुपये ($0.75) देने होंगे। वहीं चिकन आम लोगों के बजट से बाहर हो गया है. दूसरी ओर, ईंधन की कमी के कारण दिन में 7 घंटे से अधिक समय तक बिजली कटौती होती है।
पर्यटन के ठप होने से कर्ज में डूबे
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में पर्यटन क्षेत्र की बड़ी भूमिका है, लेकिन कोरोना के प्रभाव से यह ठप हो गया है। पर्यटन देश के लिए विदेशी मुद्रा का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। इसके कमजोर होने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो गया है।
लगभग 5 लाख श्रीलंकाई सीधे तौर पर पर्यटन पर निर्भर हैं, जबकि 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं। श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 10% से अधिक है। श्रीलंका को सालाना करीब 5 अरब डॉलर (करीब 37 हजार करोड़ रुपये) की विदेशी मुद्रा पर्यटन से मिलती है।
चीन समेत कई देशों के कर्ज में डूबा श्रीलंका दिवालिया घोषित हो सकता है। जनवरी में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 70% घटकर 2.36 अरब डॉलर रह गया। वहीं श्रीलंका को अगले 12 महीनों में 7.3 अरब डॉलर (करीब 54,000 करोड़ भारतीय रुपये) का घरेलू और विदेशी कर्ज चुकाना है। इसमें कुल कर्ज का करीब 68 फीसदी चीन का है। उसे चीन को 5 अरब डॉलर का भुगतान करना है।
भारत की आर्थिक मदद
भारत ने गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। भारत ने अपने पड़ोसी देश को 90 करोड़ डॉलर से ज्यादा का कर्ज देने की घोषणा की है। इससे देश को विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने और खाद्य आयात करने में मदद मिलेगी।
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