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Friday, March 29, 2024
BIG BREAKING - बड़ी खबरपलामू प्रमंडललातेहार

Special Report: लातेहार में तेंदुए और हाथी के आतंक से सहमे ग्रामीण, लगातार हो रही जानमाल की हानि, डीएफओ से ख़ास बातचीत

गोपी कुमार सिंह/रुपेश कुमार अग्रवाल

लातेहार : गढ़वा के बाद अब लातेहार में भी तेंदुए का आतंक देखने को मिल रहा है। इधर, जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत छेचा पंचायत के पठान टोला में एक जनवरी को घर से शौच के लिए निकले एक बुजुर्ग पर हमला कर तेंदुए ने मौत के घाट उतार दिया। मृतक की पहचान मुस्ताक खान के रूप में हुई थी। हालांकि वन अधिकारियों ने परिवार को मुआवजे और उस जंगली जानवर को रेस्क्यू का दावा किया। वन विभाग के अनुसार घटनास्थल और आसपास के इलाकों में मिले जंगली जानवर के पैरों के निशान लकड़बग्घे के हैं। वन विभाग केवल दावे कर रहा है जबकि आदमखोर जंगली जानवर वन विभाग की पहुंच से बाहर है।

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इधर, ग्रामीणों में हर समय भय का माहौल बना रहता है। शाम होते ही लोग घरों में दुबकने लगे हैं। डर से सहमे बच्चों पर उनके परिजन कड़ी नजर रख रहे हैं। 1,300 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल में फैले पलामू टाइगर रिजर्व में रहने वाले जंगली जानवरों पर वन विभाग का कितना काबू है इसकी तस्दीक छेचा पंचायत के पठान टोला में बुजुर्ग पर हुए तेंदुए के हमले में काल के गाल में समा गये मुश्ताक खान की लहूलुहान तस्वीर कर रही है। जबकि वन विभाग का दावा है कि हमारी टीम उस जानवर को खोजने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

हाथियों के आतंक का भी ग्रामीणों में खौफ

बहरहाल, लातेहार में न केवल तेंदुआ बल्कि हाथियों का भी आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते गुरुवार की शाम बालूमाथ के बलबल गांव में 15-20 हाथियों के झुंड ने तबाही मचाते हुए 17 घरों को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था। उसने घर में रखे चावल, गेहूं, मक्का, बादाम, महुआ व अन्य खाद्य सामग्री को भी नष्ट कर दिया। जिससे पीड़ित परिवार को लाखों का नुकसान हुआ है। इधर प्रखंड के चकला पंचायत के तिलैयादामर गांव में रविवार को हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया। हाथियों के झुंड ने दर्जनों घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं। लेकिन वन विभाग सिर्फ मुआवजा और कोरा आश्वासन देकर हाथ पर हाथ धरे बैठा है। जबकि जिले भर के अलग-अलग इलाकों में हाथियों का आतंक लगातार देखा जा रहा है।

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The News Sense ने डीएफओ से किये कई सवाल

हमारा पहला सवाल हाथियों को भगाने के लिए क्या प्रयास किये जा रहे हैं?

जवाब- डीएफओ रोशन कुमार ने बताया कि जिन क्षेत्रों में हाथियों की सूचना मिल रही है, वहां हमारी टीम ग्रामीणों की मदद से उन्हें वापस जंगल में खदेड़ने का प्रयास कर रही है।

सवाल- जंगल से गांव पहुंचने से पहले हाथियों के मूवमेंट की जानकारी वनकर्मी को क्यों नहीं मिल पाती है?

जवाब- इस पर उन्होंने कहा कि हमारा सूचना तंत्र ऐसा है कि हमारी टीम के लोगों से या प्रभावित गांव के लोगों से जो भी जानकारी मिलती है उस पर तुरंत कार्रवाई की जाती है.

सवाल- हाथियों के तांडव से ग्रामीणों को कब तक जान-माल का नुकसान झेलना पड़ेगा?

जवाब- इस पर उन्होंने कहा कि अगर जंगल है तो वहां जंगली जानवरों का रहना लाज़मी है। उन्होंने कहा कि वन पर वन्य जीवों के साथ-साथ ग्रामीणों का भी अधिकार है। जंगल में उगने वाली कई चीजों से ग्रामीणों को भी फायदा होता है। उन्होंने कहा कि वन विभाग हमेशा ग्रामीणों के साथ तालमेल बनाकर काम करता रहा है और भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रहेगा।

सवाल- हर बार वन विभाग ग्रामीणों को जान-माल के नुकसान के एवज में मुआवजा देता है, क्या आम आदमी की जान की कीमत सिर्फ मुआवजा है, ऐसी घटनाओं के लिए विभाग कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाता?

जवाब- इस पर उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं केवल लातेहार या झारखंड में ही नहीं होती, जहां भी जंगल के आसपास के गांव होते हैं, वहां प्रायः इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। वहां जब भी जंगली जानवर गांव की ओर बढ़ते हैं तो एक अजीब सी संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे गांवों के ग्रामीणों को सजग और सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम जंगली जानवरों को जंगल से नहीं हटाना चाहते हैं। क्योंकि जंगल उनका भी है। उन्होंने कहा कि वन विभाग कभी नहीं चाहता कि जंगली जानवरों के कारण ग्रामीणों को जान-माल का नुकसान हो, अगर ऐसी घटनाएं होती भी हैं तो उन्हें मुआवजा दिया जाता है ताकि विभाग और सरकार उनके दुख में उनकी मदद कर सके।