Breaking :
||कार व बाइक की टक्कर में होमगार्ड का जवान, पत्नी और दो बच्चों की मौत, मौत से जूझ रहा घर का आखिरी चिराग||संजय सेठ ने रांची लोकसभा सीट से किया नामांकन, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा- सनातन धर्म के सम्मान के लिए भाजपा को चुनें||कल से पीएम मोदी का दो दिवसीय झारखंड दौरा, रांची में रोड शो, पलामू, लोहरदगा व चाईबासा में सभा||पलामू में माओवादियों ने लगाये चुनाव बहिष्कार के पोस्टर||रांची में सेक्स रैकेट का भंडाफोड़, महिला सरगना समेत सात गिरफ्तार||लातेहार: फंदे से लटका मिला विवाहिता का शव, मायके वालों ने ससुराल वालों पर लगाया दहेज के लिए हत्या का आरोप||केंद्रीय गृह मंत्री के फर्जी वीडियो मामले में दिल्ली पुलिस सख्त, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को भेजा नोटिस||नामांकन के बाद जयराम महतो गिरफ्तार, समर्थक भड़के||लातेहार: बालूमाथ कस्तूरबा गांधी विद्यालय का इंटर साइंस व आर्ट्स का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत||लातेहार: तालाब से बोरा में बंद भारी मात्रा में मिला वोटर आईडी कार्ड, किसने और क्यों फेंका बना चर्चा का विषय
Thursday, May 2, 2024
ओपिनियनदेश-विदेश

ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद इतनी जल्दी नहीं सुलझने वाला, जानिए क्या है अटकलें

ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद :- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जहां सर्वेक्षण के दौरान एक शिवलिंग पाया गया था। हालांकि, मस्जिद के देख रेख करने वाले ने कहा कि वह पत्थर शिवलिंग नहीं, बल्कि एक फव्वारे का हिस्सा था। मस्जिद के टैंक में एक पत्थर के फव्वारे को शिवलिंग बताया जा रहा है। साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद प्रशासन के वकीलों का कहना है कि यह केस प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट (पूजा स्थल अधिनियम) का उल्लंघन करता है।

पूजा स्थल अधिनियम क्या है?

1991 में पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए कानून बनाया गया था। पूरा नाम प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट, 1991 है। यह अधिनियम नरसिम्हा राव सरकार के समय में बनाया गया था। इस अधिनियम को बनाने के पीछे मुख्य कारण विभिन्न धर्मों के बीच संघर्ष से बचना था।

इस अधिनियम के अनुसार 15 अगस्त 1947 जैसी स्थिति हर धार्मिक स्थल पर बनी रहेगी। इसके अनुसार 15 अगस्त, 1947 को यदि कहीं मंदिर होगा तो वह मंदिर रहेगा और मस्जिद होगी तो मस्जिद रहेगी। पूजा स्थल अधिनियम 1991 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी धार्मिक संप्रदाय के पूजा स्थल को एक अलग संप्रदाय या धारा में परिवर्तित नहीं कर सकता है।

पूजा स्थल अधिनियम इन मामलों पर लागू नहीं

हालाँकि 1991, अधिनियम कुछ मामलों में लागू नहीं होगा। यह ऐतिहासिक स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष जो प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों तथा अवशेष अधिनियम 1958 से आच्छादित हैं। यह किसी भी ऐसे मुकदमे पर भी लागू नहीं होगा जो 1991 के अधिनियम के लागू होने से पहले या किसी भी स्थान के रूपांतरण को लेकर किसी भी तरह का विवाद हो।

दोनों पक्षों का तर्क

ज्ञानवापी मस्जिद प्रशासन के वकीलों का तर्क है कि भक्तों के द्वारा दायर याचिका और पूजा स्थल की स्थिति को बदलने का प्रयास अधिनियम का उल्लंघन करता है। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि पूजा स्थल अधिनियम ज्ञान वापी मुद्दे पर लागू नहीं है, क्योंकि 1947 से धार्मिक संरचना में कोई बदलाव नहीं हुआ था और हिंदू हमेशा से यहाँ पूजा करते रहे हैं।

निष्कर्ष

अदालत की कार्यवाही के तहत मामलों का परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या यह मुद्दा अधिनियम के नियम के विपरीत है या यह ज्ञानवापी मस्जिद पर लागू नहीं होता है।

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद