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Sunday, May 19, 2024
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Jharkhand News: अब इटकी में हाथियों ने कुचलकर चार लोगों को मार डाला, तीन दिन में 10 की गयी जान

रांची : प्रदेश में इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष चरम पर है। लोहरदगा के भंडारा में सोमवार को चार लोगों की जान लेने के बाद मंगलवार को इटकी के बोडेया-गढ़गांव में हाथी ने चार लोगों को कुचल कर मार डाला।

इस तरह पिछले तीन दिनों में प्रदेश में दस लोग हाथी के प्रकोप का शिकार हो चुके हैं। इससे पहले रविवार को भी हाथियों ने लातेहार, रांची, लोहरदगा और जामताड़ा में तबाही मचायी थी और दो लोगों की जान ले ली थी। हाथियों के आक्रामक रूप लेने से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में दहशत का माहौल है। मंगलवार को रांची के चचगुरा, मोरो बोडेया और गढ़गांव, इटकी में हाथी द्वारा मारे गये चार लोगों की पहचान सुखवीर किंडो, पुनाई उरांव, रदवा देवी और गोयंदा उरांव के रूप में हुई है।

वहीं, हाथी के हमले में एक महिला समेत दो लोग भी घायल हो गये। बेड़ो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि गढ़गांव में हाथी ने चचगुरा निवासी गोयंदा उरांव को पैरों से कुचलकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। उन्हें बेड़ो अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी।

स्थानीय लोगों ने बताया कि मंगलवार की सुबह दो हाथी अपने झुंड से अलग होकर इटकी थाने के पास पहुंचे। दहशत में आये लोगों ने खदेड़ने का प्रयास किया, जिससे दोनों हाथी अलग हो गये। एक हाथी गढ़गांव के पास पहुंचा जबकि दूसरा जंगल की ओर चला गया। हाथी ने गढ़गांव पहुंचकर लोगों को शिकार बनाया। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। वन विभाग के निर्देश और प्रशासन के बार-बार बुलाने के बावजूद मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गयी।

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हाथी के आक्रामक तेवर को देखते हुए जिला प्रशासन ने इटकी प्रखंड में धारा 144 लागू कर दी है। लोगों को अंधेरा होने के बाद घरों से बाहर नहीं निकलने को कहा गया है और भीड़ में इकट्ठा होने पर भी रोक लगा दी गयी है।

गौरतलब है कि टंगरा गांव में सोमवार तड़के झुंड से अलग हुए एक जंगली हाथी ने तीन ग्रामीणों को कुचल कर मार डाला। मृतकों की पहचान लालमन महतो (60), झालो उरांव (27, पति-जीतराम उरांव) और सकून उर्फ नेहा (18, पति-राजेश लोहरा) के रूप में हुई थी।

ग्रामीणों का कहना है कि झारखंड के जंगलों में जंगली जानवरों के लिए प्राकृतिक भोजन और पानी की कमी के कारण अक्सर जंगली जानवर गांव की ओर आ जाते हैं। गांव में पानी की उपलब्धता के कारण धान और महुआ की गंध से हाथियों सहित अन्य जानवर अक्सर गांवों में घरों पर हमला कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि जंगलों में बांस के पौधे और जंगली केला हाथियों का मुख्य आहार है। अब वे जंगल में लगभग न के बराबर हैं। ग्रामीणों द्वारा करी पत्ता तोड़ने के कारण जंगल में मुलायम बांस की कमी हो गयी है। एक अध्ययन के अनुसार, हाथी अपने जीवन का अस्सी प्रतिशत भोजन और पानी की तलाश में व्यतीत करते हैं। इसके बावजूद उन्हें पर्याप्त खाना और पानी नहीं मिल रहा है।

जंगलों में भोजन नहीं मिलने के कारण न केवल हाथी बल्कि हिरण भी अक्सर गांवों में आ रहे हैं। हाल के दिनों में भालू और तेंदुए भी ग्रामीण इलाकों में आ रहे हैं और जानवरों और इंसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अगर सरकार समय रहते जंगलों में पशुओं के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था नहीं करती है तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

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