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Monday, May 6, 2024
पलामू प्रमंडललातेहार

रेजांगला के वीर अहीर शहीद सैनिकों के सम्मान में 25 को निकलेगी भव्य कलश यात्रा, शहीदों की मिट्टी से भरे कलश को जिलेवासी देंगे श्रद्धांजलि

अमित कुमार/लातेहार

1962 के युद्ध में 1300 चीनी सैनिकों ने 124 भारतीय सैनिकों के सामने घुटने टेक दिए थे

लातेहार : अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा द्वारा प्रायोजित पूरे जिला में प्रांतीय यादव महासभा की ओर से 25 दिसंबर को रेजांगला के वीर शहीद अहीर सैनिकों के समान में भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी। पूरे जिले में कलश यात्रा की तैयारी अंतिम चरण में है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी प्रखंडों के प्रखंड अध्यक्ष कमेटी सदस्यों के साथ तन्मयता से जुटे हैं।

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इस सम्बन्ध में प्रांतीय यादव महासभा के लातेहार जिलाध्यक्ष बृन्द बिहारी प्रसाद यादव ने बताया कि यह कलश यात्रा सन् 1962 में चीन-भारत युद्ध के दौरान रेजांगला (लद्दाख) में शहीद वीर अहीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु महासभा की राष्ट्रीय समिति द्वारा प्रायोजित है। कलश यात्रा को प्रांतीय यादव महासभा द्वारा झारखण्ड राज्य के प्रत्येक जिला में भ्रमण प्रारम्भ कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि महासभा द्वारा रेजांगला धाम से ही शहीदों के पवित्र मिट्टी को भरकर कलश में लाया गया है। यह यात्रा लातेहार जिला के चन्दवा प्रखण्ड में 25 दिसंबर, 2022 को सुबह 11ः30 बजे प्रवेश करेगी। चन्दवा, बालूमाथ एवं बारियातू प्रखण्ड के लोगों द्वारा चन्दवा के लुकुईया मोड़ में कलश यात्रा का स्वागत किया जाएगा। उसके बाद यह यात्रा दोपहर 1ः30 बजे लातेहार पहुंचेगी।

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यहां महुआडांड़, बरवाडीह एवं लातेहार प्रखंडवासी यात्रा का स्वागत लातेहार ब्लॉक गेट के पास करेंगे तथा सभी लोग पैदल मार्च करते हुए लातेहार बाजारटांड़ तक जाएंगे, जहां सभी उपस्थित लोग पवित्र कलश को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद यात्रा मनिका प्रखंड के लिए प्रस्थान करेगी। मनिका प्रखण्ड के शिव मंदिर प्रांगण में यात्रा 2ः30 बजे पहुंचेगी, जहां मनिका वासी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। 3ः00 बजे यह यात्रा पलामू जिला के लिए प्रस्थान करेगी। यात्रा में अहीर रेजिमेन्ट की मांग की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि 18 नवंबर 1962 को लेह-लद्दाख की दुर्गम और बर्फीली पहाड़ियों पर 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में तीन कमीशन अधिकारियों समेत 124 जवानों ने 1300 से अधिक चीनियों से लोहा लिया था। युद्ध में चार्ली कंपनी के 124 में से 114 जवान शहीद हो गए थे। इतिहास के पन्नों पर यह लड़ाई इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि मैदानी और रेगिस्तानी इलाके के वीरों ने बर्फ से ढंके पहाड़ों पर लड़ने के अभ्यस्त चीनियों से लोहा लिया था। वीरों का पराक्रम और साहस देखकर चीनी सैनिक भी नतमस्तक हो गए थे।